छंद गीत #हिंदी दिवस प्रतियोगिता लेखनी -18-Sep-2022
निराकारी (गीता छंद )
******************
पत्थर रहे हैं पूजते,
मन में भरे हैं भाव।
प्रभु तुम निराकारी भले,
डूबे न अपनी नाव।।
यह मन निराकारी हुआ,
सपने लिए आकार।
जब ठान कर बैठे रहे,
होगी कभी नहिं हार।।
*****
कविता झा'काव्या कवि'
#, लेखनी हिंदी दिवस प्रतियोगिता
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Sep-2022 06:31 PM
बहुत ही सुंदर सृजन,,,,
Reply
Kavita Jha
25-Sep-2022 07:07 PM
आभार आदरणीय 🙏
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
21-Sep-2022 12:16 AM
Achha likha
Reply
Reena yadav
20-Sep-2022 09:02 PM
👍👍
Reply