Kavita Jha

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छंद गीत #हिंदी दिवस प्रतियोगिता लेखनी -18-Sep-2022

निराकारी (गीता छंद )
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पत्थर रहे हैं पूजते, 
मन में  भरे हैं भाव।
प्रभु तुम निराकारी भले, 
डूबे न अपनी नाव।।

यह मन निराकारी हुआ, 
सपने लिए आकार।
जब ठान कर बैठे रहे,
 होगी कभी नहिं हार।।
*****
कविता झा'काव्या कवि'
#, लेखनी हिंदी दिवस प्रतियोगिता 

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5 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन,,,,

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Kavita Jha

25-Sep-2022 07:07 PM

आभार आदरणीय 🙏

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Reena yadav

20-Sep-2022 09:02 PM

👍👍

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